Kavita Gautam

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समय और यादें

"समय और यादें"

समय ने याद से पूछा
तुम क्यों सदियों से
यहीं (ह्रदय) में ठहरी हुई सी हो...?

कितने मौसम बदल गए
कितने वर्ष व्यतीत हो गए
मगर तुम क्यों रुकी सी हुई हो...?

मैं
समय
निरंतर चलता ही रहता हूं
कभी नहीं रुकता
किसी के लिए...!

कभी खुशी तो कभी गम में
परिवर्तित होता रहता हूं
कभी भी किसी के पास
एक जैसा नहीं रहता हूं...!

यही तो जीवन है
जो आगे बढ़ता रहता है
मेरे साथ हर पल
चलता ही रहता है...!

याद
धीमे से
समय से कुछ कह गई
अपनी ठहरी सी दास्तां
समय को सुना गई...!

हां पहचानती हूं मैं तुम्हें
कैसे भला मैं
भूल सकती हूं तुम्हें...?

तुम वही हो
जो आगे बढ़कर कभी
मुड़ते नहीं हो
अधूरी छूटी सी कहानियां
पूरी करते नहीं हो...?

मगर मैं ठहर कर ह्रदय में

लोगों को अतीत से
जोड़कर रखती हूं...?


जो छूट गईं कभी
यादें जो पीछे कहीं
उनको फिर से याद दिलाती हूं...!


कोई गुजरे हुए कल को
तुम्हारी तह में ना कहीं छुपा दे
बस इसी डर से मैं सहम सी जाती हूं
तुम्हारे परिवर्तन के स्वाभाव से
मैं डर सी जाती हूं...!

मगर तुम निराश न हो
तुम्हारा और मेरा साथ हमेशा रहेगा
क्योंकि मुझसे ही होकर गुजरेगा
तुम्हारा हर जमाना
चाहे इसे समझो यकीं या
समझो फसाना...!

बस इतनी सी गुजारिश है तुमसे

कि लोगों के ह्रदय में

उनकी यादें याद रखना
अपने समय की धूल से
उन यादों को बचाकर साफ रखना...!

ए समय बस इतनी सी मेरी
बात तुम याद रखना
समय से यादों का रिश्ता
पुराना है याद रखना ...!

कविता गौतम...✍️

#हिंदी दिवस प्रतियोगिता।

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8 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

Reply

Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 12:14 PM

Achha likha hai 💐

Reply

Kavita Gautam

21-Sep-2022 01:14 PM

सुंदर समीक्षाओं हेतु आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏

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